पाकिस्तान और भारत के तलबा अमन के सफीर
है
साईकल डिप्लोमेसी के साथ दोनों मुल्कों का जशने आज़ादी
मनाएंगे
अमन रेली के कंविनियर प्रवीन कुमार सिंग से गुफ़्तगु
अमीर लतीफ,
लाहोर,
महात्मा
गांधी का मशहूर कोल है कि “जिस दिन इस दुनिया में प्यार की
ताक़त, ताक़त से प्यार करने वालों से ज़्यादा हो जाएगी, उस दिन दुनिया में अमन
क़ाईम हो जायेगा.” भारत के बानी रहनुमा[1] का यह ही वह
तारिख़ी जुमला[2]
है कि जिसने देहली युनिवरसिटी के तलबा को यह सोच बख़्शी कि क्यों न अमन के सफ़ीर[3] बनकर इस ख़ित्ते[4] में प्यार
की ताक़त को बढाया जाय। अमुमन[5] होता यह है
कि नई नसल[6] तक उनके
आबाओ अजदाद[7] की तारीख़
इस तरह नहीं पहुँच पाती जो हकाईक[8] पर बनी हो,
इस लिए बाअज़ ओकात[9]
हकाईक के मतलाशी[10]
बाशऊर[11] नोजवान
मतज़ाद[12] किस्से
कहानियों के बजाए इस तारीख़ को दुनिया के सामने हकिकी सुरत में पेश करने का अहद[13] कर बैठे
हैं। पाकिस्तान और भारत कैसे माअरज़[14] वजुद[15] में आए? यहां कि बाशिंदों ने किस से आज़ादी हासिल की? और कैसे यह ख़ता सरहदों में तक़सीम[16] हुआ? यह हैं वह सवालात जो पाक भारत नौजवानों के अज़हान[17] के तारीख़
के झरोकों में झांकने से सही तशरीह[18] करने के
लिए दोनों मुमालिक[19] के क़याम[20] के 66 साल
गुज़रने के बाद देहली युनिवरसिटी के अमन पसंद तलबा ने ठानी है कि वह सरहद के दोनों
अतराफ[21] अवाम में
दुरियां ख़तम करके दुशमनी के फ़रज़ी क़िस्सों पर मुशतमिल[22] तारीख़ को
इसकी असल रुह में बयान करेंगे। गुज़िश्ता[23] कई माह से
दहली युनिवरसिटी के तलबा की जानिब[24] से
पाकिस्तान और भारत के दरमियान दोस्ताना कई ताअलुकात क़ाईम करने की तहरीक[25] ज़ोर पकड़
चुकी है। अमन पसंद तलबा के इस ग्रुप का कहना है सरहद से दोनों जानिब जवान नसल को
यह बताया जाता है कि 66 बरस कबल[26] हम ने एक
दुसरे से आज़ादी हासिल करने के लिए जगं लड़ी, जिसके नतीजे में यह दोनों मुमालिक
मआरिज़ वजुद में आए, लेकिन यह गलत गुमान[27] है। इन
नौजवानों का कहना है कि 1947 में इस ख़ित्ते के बासियों[28] ने
बरतान्वी सामराज के ख़िलाफ़ जंगे आज़ादी लड़ी। पाक हिंद के रहने वाले चाहे वह
हिंदु थे या मुसलीम, उस वक़्त सब का मक़सद ग़ुलामी से निजात था, इसी लिए यह किसी
कोम या मज़हब की जंग न थी बल्कि इस ख़ते पर काबिज़[29] अंग्रेज़
हुकमरानों[30]
से आज़ादी की जंग थी। आज सरहद के दोनों जानिब नई नसल को एक दुसरे के खिलाफ नफ़रत
अंगेज़ किस्से सुना कर भड़काया जाता है जो कि दोस्त नहीं है। देहली युनिवरसिटी के
इन तलबा ने पाकिस्तान और भारत के अवाम को क़रीब लाने केलिए “India-Pakistan Peace Cycle Rally” के नाम से मुहिम[31] का आगाज़[32] किया है।
फाकिस्तान और भारत के कोमी दिन बालतरतीब[33] 14 और 15
अगस्त को इनकी जानिब से साईकल रेली का इनअकाद[34] किया जाए
जाए गा जो कि देहली युनिवरसिटी से ले कर वाहगा तक अमन मार्च होगा। इस अमन मिशन के
कंविनियर प्रवीन कुमार सिंग ने ख़ुसुसी[35] तोर पर जंग
से गुफतगु[36]
करते हुए बताया कि इस रेली में शिरकत[37] के लिए
तमाम बड़े शहरों में केम्पैन चलाई जा रही है। प्रवीन का कहना है कि हम लोगों में
पाकिस्तान के बारे में मुंफी[38] राय ख़तम
कर ने के लिए अमन और दोस्ती पर बनी म्युज़िक और स्ट्रिट शोज़ का अहतमाम[39] कर रहे
हैं। इनका कहना था कि तलबा मुखतलिफ़ शहरों की बड़ी शाहिराहों[40] के मरकज़ी मुक़ामात[41] पर इकठे
होते हैं और पाको हिंद के तारीख़ी किस्सों से माख़ुज़[42] ड्रामे पेश
कर के लोगों की तवज्जू[43] अपनी जानिब
राग़िब[44] करते हैं।
हमने दोनों मुमालिक के माबीन[45] भाईचारे और
अमन केलिए नग़मे[46]
तरतीब[47] दे रखे
हैं, जिस पर हमारे आर्ट ग्रुप के साथ साथ वहां पर मौजुद शाइकीन भी परफारम करते
हैं। इसे तमाम लोग जो इस अमन रेली शिर्कत करना चाहते हैं हम इनकी रजिस्ट्रेशन करते
हैं और इन्हें अपने मक़सद से आगाह[48] करते हैं।
प्रवीन ने बताया कि हम शिरका[49] को भी अपनी
राय पेश करने का मोका देते हैं, जिसके बाइस[50] कई
बुज़ुर्ग शहरी मजमुआ[51] को भारत की
तारीख़ से आगाह करते हैं, जब्कि कुछ पाकिस्तान में अब भी मौजुद अपने रिश्तेदारों
से मुलाकात की ख्वाहिश का इज़हार करते हैं। कन्वेयर ने बताया कि इन्होंने अपनी मदद
आपके तहत केम्पैन में शामिल तलबा के लिए अमन पैग़ामात पर मुबनी[52] युनिफारम
का एहतमाम[53]
भी कर रखा है, जब्कि गरम मौसम के पेशेनज़र शिरका केलिए मशरुबात[54] का भी
इंताज़ाम किया जाता है। इनका कहना था कि हम साईकल रेली के ज़रिए यह बताना चाहते
हैं कि इस ख़ित्ते में पाकिस्तान और भारत की हेशियत साईकल के दो पहियों की तरह है,
इसलिए दोनो का इकट्ठे रहना लाज़िम है।
प्रवीन के दिगर
साथियों ने बताया कि हमने गुज़िशता माह इस रेली के हवाले[55] से
क़रारदार[56]
पेश करने के लिए वज़िर अज़म हाऊस की जानिब साइकल रेली निकाली थी, लेकिन पुलिस ने
सेक्युरिटी वजुहात की बिना पर आगे न जाने दिया। इनका कहना था कि लोगों की जानिब से
भारती वज़िर आज़म नरेंद्र मोदी को कुछ इंतशार[57] पसंद अनासर[58] की जानिब
से पाकिस्तान के बारे में सख़्त रवैया रख़ने वाली शख़सियत के तोर पर पेश किया जाता
है, हालांकि ऐसा बिलकुल नहीं है। इन्होंने दोनो मुमालिक में अमन के मक़सद के लिए
मुनाअक़िद की जाने वाली इस साईकल रेस के लिए गुज़िश्ता साल नरेंद्र मोदी की जानिब
से मोसूल[59]
होने वाले नेक ख़्वाहिशात पर बनी पैग़ाम की कापी देखाते हुए बताया कि यह ख़त
मौजुदा भारती वज़ीर आज़म की जानिब से इस वक़्त भेजा गया था कि जब वह वज़ीरे आला
गुजरात थे। इन्होंने बताया कि बहेशियत वज़ीरे अज़म वह अब भी इस अमन केम्पैन के
हिमायती हैं और इसी लिए बिना किसी ख़ोफ व ख़तर[60] तमाम एलाकों
में इस हवाले से प्रोग्राम्ज़ मुनअक़िद कर रहे हैं।
जंग ग्रुप और
टाईमज़ ओफ इंडिया की मशतरका[61] अमन कावश[62] “अमन की आशा“ को खेराज[63]
तहसीन[64] पेश करते
हुए प्रवीन का कहना था कि हमारी रेली भी इसी अमन की आशा का हिस्सा है। इन्होंने
बताया कि भारत में टाईमज़ ओफ इंडिया समेत दीगर[65] मिडिया गरोपश[66] भी हमारी इन
कोशिशों को सरहा रहे हैं। इन्होंने कहा कि दोनों मुमालिक के यह बड़े मिडीया गरोपश
पाक भारत हकुमती युवानों तक हम जैसे लोगों
कि जो इस ख़ित्ते में अमन और दोस्ती का माहोल काईम करना चाहते हैं, की आवाज़
पहोंचा रहे हैं। कनवेनियर का कहना है आप लोग हमारे नज़रियाती[67] शिराकतदार[68] हैं, जो
यहाँ के अवाम को नफ़रत से पाक माहोल में जिने का सबक देते हैं। ग्रुप के मुसलिम रुकन[69] निअमान
अहमद का कहना था कि पाकिस्तान से ताअलुक़ रखने वाली मुख़तलिफ युनिवरसिटीज़ के
नवजानों के ग्रुप गाहे बगाहे[70] अमन का
पैग़ाम ले कर भारत आते रहते हैं और अब हमारी दोनों मुल्कों की हकुमतों से अपील है
कि वह भी सरकारी तोर पर ऐसी कोशिश की होसला अफ़ज़ाई[71] करे। उनका
कहना था कि जंग ग्रुप के फोरम से हम अपने फाकिस्तानी नौजवान दोस्तों तक पैग़ाम
पहुंचाना चाहते हैं कि वह भी इस रेली में भरपूर शिरकत करें ताकि भारत से अमन का
पैग़ाम ले कर वाहगा पहुंचने वाले अफराद को यकीन हो सके कि अमन दोस्ती की शमअईन[72] सरहद के
दोनो अतराफ रोशन रहें। अमन मिशन की खातुन रकन पूजा का कहना था कि इस कम्पैन में
भारती लड़कियां भी मर्दों के शाना बिशाना[73] खड़ी हैं। क्युंकि हन अमन की ख़ातिर हर तफ़रीक़[74] ख़तम करना
चाहते हैं। पूजा का कहना था कि हम अकसर पाकिस्तानी दोस्तों से सोशल नेटवर्क किसी
के ज़रिये राबते में रहते हैं और दोनों मुमालिक के तआलीमी निज़ाम समेट दीगर शुबा
जात[75] का तज़करा[76] करते रहते
हैं। लेकिन क्या ही अच्छा हो कि हम बिना किसी रोक टोक सरहद के आरपार खुद अपनी
आंखों से यह सब देख पाएं। पाकिस्तानी लड़कियों के लिए पूजा ने अपना पैग़ाम देते
हुए ख़्वाहिश का इज़हार किया कि हमारी ख़्वाहिश है कि जब हम वाहगा पहुंचे तो वहां
हमारी फाकिस्तानी बहनों हमारा इस्तकबाल इसी जोशो जज़बे के साथ करें कि जिस जज़बे
के तहत हम सेकड़ों किलोमीटर का फेसला तय करके
उन तक पहुंचेंगे, क्युंकि बेशक हमारा खुन का रिश्ता न सही, लेकिन हमसाईगी[77] और दिल का
रिश्ता तो है।
[77] हमसाईगी – पडोशी ہمسائیگی
Special Comments: One reason for the Partition was Urdu. Imposition of Hindi as national language made us lose Lahore, lose importance of our own languages, let sway of English to come in with vengeance. We should have opted for all inclusive, multi-view society. Our leaders have kept harping on Unity. They have never actually liked India as such.
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