गुरुवार, 16 जनवरी 2014

लालु यादव के नौ रतन لالو یادو کے نو دتن



The idea behind this blog is to tag on to some original Urdu literary work that I have come across in the wake of my learning Urdu from School books, NCPUL reading material, Urdu new papers and like.  It is primarily for those who have lost sense of love and appreciation of its ornamental script and know only the Devnagari script.



لالو یادو کے نو‎ رتن
लालु यादव के नौ रतन

मम्मी डेडी आई लव यु, सी दी बेबी डाईंग फॉर यु
साबीक वज़रे-आला[1] लालू प्रसाद यादव और मौजुदा वज़ीरे-आला रबड़ी देवी की सब से छोटी विजयालक्ष्मी गा रही है। जब कभी वह नज़म-गीत गाते गाते रुक जाती थी, बड़ी बहन रोहनी इसे लकमा देती है। विजयालक्ष्मी अच्छी लड़की है।रोहनी कहती है। है ना विजया?

विजयालक्ष्मी पहली जमाअत[2] में है और तमाम अफ्रादे-खाना[3] इसे बेहद चाहते है। हेलो”, मैंने उसके जानीब बढ़ते हुए कहा। क्या वह नज़म तुम हमें भी सुनाओगी?विजयालक्ष्मी मुझे करीब आते देखकर पीछे होने लगी। इतने में रोहनी की आवाज़ आई वह बहुत शरमिली हैरोहनी ने कहा और बच्चों के साथ बालकनी के जानीब बढ़ गया।

बालकनी से जब मैंने नीचे की तरफ नज़र डाली तो देखता हूँ कि यादव खानदान के चार बच्चे माली, चपराशियों, और मुहाफिज़ों[4] के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। रोहनी उनको बुलाती है लेकिन रोहनी के आवाज़ पर उनके चेहरे मलूल[5] हो जाते हैं। मैं उनसे पुछता हूँ क्या आप लोग खेल खेलकरने के बाद आयेंगे?बच्चे मेरी बात का जवाब नहीं देते हैं। लेकिन रोहनी बातें करने लगती है। उसने मेडिकल में दाखला का टेस्ट दिया है और इम्तिहान के नतिजा का इंतज़ार कर रही है। इस दौरान मैं देखता हूँ कि क्रिकेट की टीम कमरे में दाखल हो रही है। बच्चे बेतरबी से जूते उतार कर इधर उधर डाल देते हैं, बल्कि फेंक देते हैं और मेरे करीब आ जाते हैं।  तरून दूसरी जमाअत में है। उसे क्रिकेट दिवांगी की हद तक अज़ीज़ है कि वह टेलीवीज़न पर पेश किया जाने वाला हर मेच देखता है। जब सहारा कप खेला जा रहा था, मैं रात रात भर रहता।

लालू यादव के घर में बच्चों की वजह से बहार रहती है। तेजप्रताप जो तिसरी जमाअत का तालीबे-इल्म है, क्रदरे चिड़चिड़ा और दुबला पतला लड़का है जिस के आगे के दांत उखड़ गये है। उनकी शरारतों से पुरा घर परेशान रहेता है। जब वह दुसरों को सताने के लिए आता है तो सुरते-हाल यह होती है कि पूरा घर एक तरफ और तेजप्रताप एक तरफ। उसे फुटबोल पसंद है। क्रिकेट अच्छा नहीं लगता क्योंकि मैं इसमे जलदी आऊट हो जाता हूँ। लेकिन उस में कोई बुराई नहीं। टेंडुलकर भी तो कभी कभी आऊट हो जाते हैं। इस बच्चे को हवाई जहाज़ अच्छे लगते है, लिहाज़ा इसने एअर फोर्स जोईन करने का फैसला किया है। मैं हवाई जहाज़ उडाना चाहता हूँ। तेजप्रताप उथड़े हुए दांतों को छुपाते हुए कहता है।

ग्यारा अफ्राद का यह खानदान पहले मंज़िला पर रहते हैं जबकि ग्रौंड फ्लोर पर ऑफिस है जहाँ दिन भर काफी शोर होता है। घर में बच्चों की नानी से भी मुलाकात होती है जो कुछ दिनों के लिए आई थी लेकिन अब काफी दिन रुक गई हैं। पुरा का पुरा घर निहायत सलिका के सजा हुआ है। दिवान खाने की खुरशियों को सिया और तिलाई[6] रंगो में देखा जा सकता है. सोफा का असतर भी खुबसुरत डिज़ाईन से मुजै़न[7] है। फर्श मारबल का है और कमरे के एक गौशे में गनेश की कई मुर्तिओं रखी गई हैं धात, लकड़ी और  शीशे की बनी हुई हैं। टेरा कोटा के गोलदान लालु यादव की दो बेटियों ने अच्छे नक्शो निगार किये हैं।  यह दो बेटियां मीसा और चंदा है।  मीसा पटना मेडिकल कोलेज की तालिबे-इल्म है जबकि चंदा अजमेर के मायो कोलेज में दसवी पढ़ रही है। ड्राइंग रुम की एक दीवार पर सतिश गुजराल की एक पेंटिंग है।  मुझे बताया जाता है कि हाल ही में जब रबड़ी देवी वज़िरे अज़म इंदर कुमार गुजराल से मिली थी तब इन्हों ने अपने भाई की बनाई हुई यह पैंटिंग उन्हे तोफे में दी थी।

रोहनी मेरे करीब आकर बैठ जाती है और बताने लगती है कि राष्ट्रपती भवन में सदरे जमहुरिया आर के नारायन और उनकी अहलिया[8] से मुलाकात कितनी  यादगार साबीत हुई। नारायन अंकल बहुत अच्छे हैं।रोहनी कहती है। उनकी वाईफ ने हमें राष्ट्रपती भवन  के बाग़ात की सैर कराई और ढेर सारे स्नेक्स खिलाए।

लालू यादव की बेटियों को अच्छे अच्छे कपड़े पहनने के अलावा पैंटिंग, एम्ब्रोयडरी, और खाने पीने से दिलचश्पी है. मीसा और रोहनी खास तोर पर बताती है कि उन्हे फेशन डिज़ाइनिंग का बहुत शोक है। हमारे कपड़े अज़ीम टेलर्स के यहाँ सिलते हैं लेकिन डिज़ाईन और एम्ब्रोयडरी हमी लोग करते हैं।यह बात मुझे रोहनी बताती है जो फिलवक़्त[9] 17 साल की है और डॉक्टर बनना चाहती है।

उनकी ख़्वाहिश है कि अपने वालीद के तामीर कराए हुए नेज़ उसकी दादी से मनसुब एक ऐसे असपटल में काम करे जो के आबाई गाओं में हो। मीसा और में चाहते हैं कि देहातों जाकर गरीबों के लिए काम करें।

शादी?? शादी के बारे में जब मेने रोहनी से पूछा तो कबनवे लगी इतनी जलदी मैं अभी बहुत छोटी हूँ।इसके बकुल वक़्त आने पर मैं ज़रुर शादी करुंगा लेकिन अपनी पसंद की नहीं बल्कि मम्मी-डेडी की पसंद से क्यों कि वह बहतर इंतख़ाब कर सकेंगे।

हर चंद के इस घर में कई बावरची हैं अच्छे से अच्छा खाना पका सकते हैं लेकिन लड़कियों को पकाने का बहुत शोक है क्योंकि उन से वालिद का भी यही शोक रहा है। ऱोहनी नॉनवेज अच्छा पका लेती है जबकि मीसा को चीनी पकवान से दिलचस्पी है। माँ के चीफ मिनीस्टर बनने से कबल[10] मेरा मामूल था कि मैं खाना पकाने  में मम्मी की मदद किया करती थी। उन के मैंने बहुत कुछ सीखा लेकिन... उनकी बात ही कुछ और है।

लालू यादव की एक और बेटी रागिनी है जो अच्छे अच्छे और नये नये  पकवान की तय्यारी के लिए टेलीवीज़न प्रोग्राम खाना खजाना ज़रूर देखती है। वैसे भी टेलेविज़न इन सब की पसंद है। बनेगी अपनी बात” ... और ...अमानतइनकी पसंदिदा सीरियल है लेकिन इन लड़कियों को शिकायत है कि इनके यहाँ डीश एंटेना नहीं है. केबल कनेक्शन है लेकिन बार बार बीजली जाने की वजे से केबल पर  प्रोग्राम देखने में लुफ्त नहीं आता।

फिल्मे देखने का शोक सभी को है। मीसा को अरविंद स्वामी और मधुबाला की फिल्मे अच्छी लगती है। रोहनी को सलमान खान, चंदरपुद सिंग, करीष्मा कपूर और मनीषा कोइराला पसंद है और रागीनी को अकषय खन्ना और मनीषा की फिल्मे अज़ीज़ है। उन्हे एक शिकायत है कि वह सेक्योरिटी के मसले की वजे से थ्येटर में जा कर फिल्में नहीं देख सकती। लालू की एक और बेटी रोहनी के बकौल हम ने अब तक तीन फिल्मे थियेटर में देखी हैं हम आपके है कैन....

लालू यादव के लड़कियों को अपनी वी.आई.पीहैसियत का खुब एहसास है। जब भी वह स्कूल में होते है, टीचर क्लास के बच्चे उनके साथ बहुत अच्छी तरह पेश आते हैं क्योंकि सबको मालूम है कि वह वज़िरे-आला के बेटे बेटियां हैं। जिस वक़्त वह क्लास रूम में होते है, बॉडीगार्ड बाहर खड़ा रहता है और जब स्कूल का वक़्त खतम होता जाता है तो बच्चे सेक्योरिटी गार्ड के साथ घर लोटते हैं। शॉपिंग के लिए जब लालू यादव की बड़ी लड़कियां बाज़ार जाती हैं तब सादे कपड़े में मलबुस सेक्योरिटी गार्ड को साथ ले जाना पसंद करती हैं ताकि आवाम की तवज्जु[11] का मरकज़[12] न बने।

जब से रबड़ी देवी वज़िरे-आला बनी है लालू यादव की बेटियों को सियासत से खसुसी दिलच्शपी हो गयी है। अब वह अहम रोज़नामे पड़ती है, सियासी ख़बरों पर तबसरा करती है और टेलिविज़न की न्यूज़ बुलिटिन ज़रूर देखती है। जहां तक सियासत में शामिल होने का सवाल है, इन बच्चों का जवाब नकी में सामने आता है। क्या यह ज़रुरी है कि बच्चे भी वही पेशा अखतियार करें जो इनके वालिदें का है?यह सवाल वह बड़ी एतमाद से करते हैं। बड़े बच्चों का कहना है कि इन्होंने अपने प्रोफेशन का इंतख़ाब कर लिया है।

रोहिनी और रागिनी को लालू यादव के जेल से रिहा होने का शिदत के साथ इंतज़ार है। हम चाहते हैं कि डेडी दिवाली तक घर आ जाए। हर साल वह बड़े जोश खरोश के साथ दिवाली मनाते हैं। इन की मौजुदगी में हम दिये जलाते हैं। घर को सजाते हैं और पुजा करते हैं। रोहिनी  और रागिनी को दिवाली का इस लिए भी इंतज़ार है कि इस दौरान छुटि्टयों कि वजह से हेमा और चंदा भी घर आ जाती हैं।

लड़कों के मुकाबले में ख़ास तोर पर लड़कियों को रबड़ी देवी के वज़िरे-आला बन जाने के बाद इतना बड़ा घर खाली खाली सा लगता है लेकिन हर एक ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है। बड़ी लड़कियों घर की देखभाल भी करती हैं और छोटी बहनो का खयाल भी रखती हैं। जब मम्मी की बहुत ज़्यादा याद आती है को हम उनसे फोन पर बातें करने लगते हैं।

माँ वज़िरे-आला के हेसियत से अपने चेंबर में और बाप जेल में। देखा जाए तो लालू यादव के यह नौ रतन खुश नहीं है। इसके कबल जब मैने लालू यादव से उसके इस घर पर मुलाकात की थी तब घर में बड़ी रोनक़ थी। उसी वक़्त रबड़ी देवी ने बताया था कि मीसा का नाम जय प्रकाश नारायण ने रखा था क्यों कि जिस वक़्त वह पैदा हुई, लालू यादव MISA”  के तहत जेल में थे।




[1] ज़ीरे-आला     chief minister         وزیرآعالی   
[2] जमाअत          standard, classخماعت                 
[3] अफरादे-खाना members of family  افراد خانا    
[4] मुहाफिज़ों        security men  محافظ       
[5] मलूल              sadملول                    
[6] तिलाई          goldenطلائ              
[7] मुज़ैन           ornamented with مزین     
[8] अहलिया      wife               اہلیہ          
[9] फिलवक़्त    at the momentفی آلوقت           
[10] कबल              before      قبل           
[11] तवज्जु       attention        توجہ          
[12] मरकज़        centre           مرکز         

बुधवार, 1 जनवरी 2014

जामुन का पेड़ جامن کا پیڑ

The idea behind this blog is to tag on to some original Urdu literary work that I have come across in the wake of my learning Urdu from School books, NCPUL reading material, Urdu newspapers and like.  It is primarily for those who have lost sense of love and appreciation of its ornamental script and know only the Devnagari script.


جامن کا پیڑ
کرشن چندر

जामुन का पेड़
कृष्ण चंदर

कृष्ण चंदर 1914 से 1977 उर्दू के उन चंद मशहूर अफसाना[1] निगारों में हैं जिनको उनकी जिंदगी ही में शोहरत हासिल हुई। उन्होंने अफसानों के अलावा नॉवेल और ड्रामे भी लिखे। इनके अंदाज़े-बयान शायराना है। इनके फन का बुनियादी मकसद समाज के मज़लूम[2] तब्कों[3] की हिमायत[4] और अवाम दोस्ती है। इस मकसद के लिए वह कहीं तनज़[5] व मज़ाह, कहीं बेलाग हकीकत निगारी और कहीं रुमानियत से काम लिए हैं। वह तरक्की पसंद तेहरीक[6] के नुमाईंदा अफसाना निगार है। उनके अफसानों के कई मज़मुए शाए हो चुके हैं। जिन में अनदाता, हम वहशी[7] हैं, तलसिमे-खयाल, टूटे तारे, नज़ारे और काला सूरज काबिले ज़िकर है। शिकस्त[8], मिट्टी के सनम और एक गधे की सरगुज़िश्त उनके मशहूर नॉवेल हैं।

ज़ेल की कहानी दफतरशाही की सुस्त रफतारी और गैर-इंसानी रवय्ये पर ज़बरदस्त चोट है। आम मशाहिदा[9] है कि दफतरशाही इंसानी हमदर्दी को नज़र-अंदाज़ कर के सिर्फ पैचीदा[10] क्वानीन[11] की मेकानिकी पाबंदी पर अमल पीरा होती है। इस कहानी में एक शख़्श की जान फोरी तोर पर बचाने के बजाए सेक्रेटेरियट के चपरासी, क्लर्क, और सुप्रिंटंडंट दरख्त उठाने की ज़िम्मेदारी महकमे की तलाश शुरू कर देते हैं। यह कारवाई मुखतलीफ मुहकमों, हत्ता[12] कि वज़ारते-ख़ार्जा[13] तक पहुँच जाता है। फाईलों का चक्कर चलता रहता है लेकिन कोई इस ग़रीब की जान बचाने की फिकर नहीं करता यहां तक कि वह दम तोड़ देता है।
कृष्ण चंदर की यह कहानी हमारे सरकारी अफसरों के गैर-इंसानी रवय्ये और दफ्तरशाही पर बड़ा गहरा तनज़ है। 


रात को बड़े ज़ोर का झक्कड़[14] चला। सेक्रेटेरियट के लोन में जामन का एक दरख्त गिर पड़ा। सुबह जब माली ने देखा तो इसे मालूम पड़ा कि दरख्त के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है।

माली दोड़ा दोड़ा चपरासी के पास गया। चपरासी दोड़ा दोड़ा क्लर्क के पास गया। क्लर्क दोड़ा दोड़ा सुपरिन्टेंडंट के पास गया। सुपरिन्टेंडंट दोड़ा दोड़ा बाहर लॉन में आया। मिनिटों में गिरे हुए दरख्त के नीचे दबे हुए आदमी के गिर्द[15] मजमाअ[16] एकट्ठा हो गया।

"बेचारा! जामुन का पेड़ कितना फलदार था।" एक क्लर्क बोला।
"इस की जामुन कितनी रसिली होती थीं।" दूसरा क्लर्क बोला।
"मैं फलों के मोसम में झोली भरके ले जाता था। मेरे बच्चे इस की जामुनें कितनी ख़ुशी से खाते थे।" तीसरे क्लर्क ने तक्रिबन आबदीदा[17] हो कर कहा।
"मगर यह आदमी?" माली ने दबे हुए आदमी की तरफ इशारा किया।
"हां, यह आदमी" सुपरिन्टेंडंट सोच में पड़ गया।
"पता नहीं ज़िंदा है कि मर गया" एक चपराशी ने पूछा।
मर गया होगा। इतना भारी तना जिनकी पीठ पर गीरे, वह बच कैसे सकता है? दूसरा चपराशी बोला।
नहीं में जिंदा हूं।  दबे हुए आदमी ने बा-मुश्किल कराहते[18] हूए कहा।
जिंदा है? एक क्लार्क ने हैरत से कहा।
दरख्त को हटा कर इसे निकाल लेना चाहिये। माली ने मशवरा[19]] दिया।
मुश्किल मालूम होता है। एक काहिल[20] और मोटा चपराशी बोला। दरख्त का तना बहुत भारी और वज़नी है।
क्या मुश्किल है? माली बोला। अगर सुपरिंटेंडंट साहब हुकम दे तो अभी पंद्रा बीस माली, चपराशी और क्लर्क ज़ोर लगा कर दरख्त के नीचे से दबे आदमी को निकाल सकते हैं।
माली ठीक कहता है। बहुत से क्लर्क एक साथ बोल पड़े।  लगाओ ज़ोर हम तयार हैं।
एक दम बहुत से लोग दरख्त को काटने पर तयार हो गए।
ठहरो!”, सुपरिंटेंडंट बोला, में अंडर-सेक्रेटरी से मशवरा कर लूं।

सुपरिंटंडंट अंडर सेक्रेटरी के पास गया। अंडर सेक्रेटरी डेप्युट सेक्रेटरी के पास गया। डेप्युटी  सेक्रेटरी जॉइँट सेक्रेटरी के पास गया। जॉइंट सेक्रेटरी चीफ सेक्रेटरी के पास गया। चीफ सेक्रेटरी ने जॉइँट सेक्रेटरी से कुछ कहा। जॉइँट सेक्रेटरी ने डेप्युटी सेक्रेटरी से कहा। डेप्युटी सेक्रेटरी ने अंडर सेक्रेटरी से कहा। फाईल चलती रही। इसी में आधा दिन गुज़र गया।

दोपहर को खाने पर दबे हुए आदमी के गिर्द बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मन चले क्लर्कों ने मामले को अपने हाथ में लेना चाहा। वह हकुमत के फेसले का इँतज़ार किये बगैर दरख्त को खूद से हटाने का तहय्या[21] कर रहे थे कि इतने में सुपरिंटेंडंट फाईल लिए भागा-भागा आया, बोला हम लोग खूद के इस दरख्त को यहाँ से हटा नहीं सकते। हम लोग महकमा तिजारत[22] से मुतालुक[23] हैं और यह दरख्त का मामला है जो महकमा-ए-ज़िराअत[24] की तहवील[25] में है। इस लिए मैं इस फाईल को अरजंट मार्क कर के मुहकमा-ए-ज़िराअत में भेज रहा हूँ। वहाँ से जवाब आते ही इस को हटवा दिया जाएगा।

दूसरे दिन महकमा-ए-ज़िराअत से जवाब आया कि दरख्त हटवाने की ज़िम्मेदारी महकमा-ए-तिजारत पर आईद[26] होती है।



यह जवाब पढ़कर महकमा-ए-तिजारत को गुस्सा आ गया। उन्हों ने फौरन लिखा कि पेड़ो को हटवाने या न हटवाने की ज़िम्मेदारी महकमा-ए-ज़िराअत पर आईद होती है। महकमा-ए-तिजारत का इस मामले से कोई तालुक नहीं है।

दूसरे दिन भी फाईल चलती रही। शाम को जवाब आ गया।   हम इस मआमले को हॉरटीकलचरल डिपार्टमेंट के सपुर्द कर रहे है क्योंकि यह एक फलदार दरख्त का मामला है और एग्रीकलचरल डिपार्टमेंट सिर्फ अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का मजाज़[27] है। जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ है इस लिये पेड़ हॉरटीकलचरल डिपार्टमेंट के दाईरा-ए-अखतियार[28] में आता है।

रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया हालांकि लॉन के चारों तरफ पुलिस का पहरा था कि कहीं लोग कानून को अपने हाथ में ले के दरख्त को खुद से हटवाने की कोशीश न करें। मगर एक पुलिस कांस्टेबल को रहम आ गया और इसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खाने की इजाज़त दे दी।

माली ने दबे हुए आदमी से कहा, तुम्हारी फाईल चल रही है। उम्मीद है कि कल तक फैसला हो जाएगा।

दबा हुआ आदमी कुछ न बोला।

माली ने पेड़ के तने को ग़ोर से देखकर कहा, हैरत गुज़री कि तना तुम्हारे कुल्हे पर गिरी। अगर कमर पर गिरती रीढ़ की हड्डी टूट जाती।

दबा हुआ आदमी फिर भी कुछ न बोला।

माली ने फिर कहा, तुम्हारा यहाँ कोई वारिस हो तो मझे इस का अता-पता बताओ। मैं इसे ख़बर देने की कोशिश करुंगा।

मैं लावारिस[29] हूँ। दबे हुए आदमी ने बड़ी मुश्किल से कहा।

माली अफसोस ज़ाहिर करता हुआ वहाँ से हट गया।

तिसरे दिन हा्र्टिकल्चरल डिपार्टमेंट से जवाब आ गया। बड़ा-कड़ा जवाब था और तनज़-आमेज़[30]। हा्र्टिकल्चरल डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी अदबी मिज़ाज़ का आदमी मालूम होता था। इसने लिखा था: "हैरत है, इस समय जब 'दरख्त उगाओ' इसकीम बड़े पैमाने पर चल रहे हैं, हमारे मुल्क में ऐसे सरकारी अफसर मोजुद हैं जो दरख्त काटने का मशवरा देतें हैं, वह भी एक फलदार दरख्त को! और फिर जामुन के दरख्त को!! जिस की फल अवाम बड़ी रघबत[31] से खाते हैं!!! हमारा महकमा किसी हालत में इस फलदार दरख्त को काटने की इज़ाजत नहीं दे सकता।"

अब क्या किया जाय?“  एक मनचले ने कहा। अगर दरख्त काटा नहीं जा सकता तो इस आदमी को काट कर निकाल लिया जाए! यह देखिये, इसी आदमी ने इशारे से बताया। अगर इस आदमी को बीच में से यानी धड के मकाम से काटा जाय तो आधा आदमी इधर से नीकल आयेगा और आधा आदमी उधर से बाहर आ जायेगा और दरख्त वहीं का वहीं रहेगा।

मगर इस तरह से तो मैं मर जाउँगा!” दबे हुए आदमी एहतजाज[32] किया।

"यह भी ठीक कहता है।" एक क्लर्क बोला।

आदमी को काटने वाली तजवीज़[33] पेश करने वाले ने पर-ज़ोर एहतजाज किया, "आप जानते नहीं हैं। आजकल प्लास्टीक सरजरी के ज़रीये धड के मुकाम पर इस आदमी को फिर से जोड़ा जा सकता है।"

अब फाईल को मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दीया गया। मेडिकल डिपार्टमेंट ने फौरन इस पर एकशन लिया और जिस दिन फाईल इस महकमे का सब से काबिल प्लास्टीक सर्जन तहकिकात के लिये भेज दिया।  सर्जन ने दबे हुए आदमी को अच्छी तरह टटोल कर, इस की सेहत देखकर, खुन का दबाओ, सांस की आमदो-रफत[34], दिल और फेफड़ों जांच कर के रिपोर्ट भेज दी कि, "इस आदमी का प्लास्टिक ऑपरेशन तो हो सकता है, और ऑपरेशन कामयाब हो जाएगा, मगर आदमी मर जाएगा।"

लिहाज़ा यह तजवीज़ भी रद कर दी गई।

रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुंह में खिचड़ी के लकमे[35] डालते हुए इसे बताया, अब मामला उपर चला गया है। सुना है कि सेक्रेटेरियट के सारे सेक्रेटेरियों की मिटिंग होगी। इसमें तुम्हारा केस रखा जाएगा। उम्मीद है सब  काम ठीक हो जाएगा।

दबा हुआ आदमी एक आह भर कर आहिस्ते से बोला -  हमने माना कि तग़ाफुल[36] न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम, तुमको ख़बर होने तक।

मालीने अचंभे से मुंह में उंगली दबाई। हैरत से बोला, क्या तुम शायर हो?”

दबे हुए आदमी ने आहिस्ते से सर हिला दिया।

दूसरे दिन माली ने चपराशी को बताया।  चपरासी ने क्लर्क को और क्लर्क ने हेड-क्लर्क को। थोड़े ही अरसे में सेक्रेटेरियट में यह अफवा फैल गई कि दबा हुआ आदमी शायर है।  बस फिर क्या था। लोक जोक-दर-जोक[37] शायर को देखने के लिए आने लगे। इस की ख़बर शहर में फैल गई। और शाम तक मुहल्ले मुहल्ले से शायर जमाअ होना शरू हो गए। सेक्रेटेरियट के लॉन भांत भांत के शायरों से भर गया।  सेक्रेटेरियट के कई क्लर्क और अंडर-सेक्रेटरी तक, जिन्हें अदब और शायर से लगाओ था, रुक गए.  कुछ शायर दबे हुए आदमी को अपनी ग़ज़लें और नज़में सुनाने लगे. कई क्लर्क इससे अपनी ग़ज़लों पर इसला[38] लेने के लिए मुसिर[39] होने लगे।



जब यह पता चला कि दबा हुआ आदमी शायर है तो सेक्रेटेरियट की सब-कमिटी ने फैसना किया कि चोंकि दबा हुआ आदमी एक शायर है लिहाज़ा इस फाईल का तालुक न एग्रिकलचरल डिपार्टमेंट से है, न हार्टीकलचरल डिपार्टमेंट से बल्कि सिर्फ कलचरल डिपार्टमेंट से है। पहले कलचरल डिपार्टमेंट से इसतदा[40] की गई कि जल्द से जल्द इस मामले का फैसला कर के बदनसीब शायर को इस शजरे-सायादार[41] से रिहाई दिलाई जाय।

फाईल कलचरल डिपार्टमेंट के मुख़तलीफ शुआबों[42] से गुज़रती हुई अदबी अकाडमी के सेक्रेटरी के पास पहुँची। बेचारा सेक्रेटरी इसी वकत अपनी गाड़ी में सवार हो कर सेक्रेटेरियत पहुँचा और दबे हुए आलमी से इँटरव्यू लेने लगा।

तुम शायर हो? इसने पूछा।

जी हाँ। दबे हुए आदमी ने जवाब दीया।

क्या तख़ल्लुस करते हो?”

अवस

अवस! सेक्रेटरी ज़ोर से चिंखा। क्या तुम वही हो जिस का मजमुआ-ए-कलाम-ए-अवस के फुल हाल ही में शाए हुआ है?”

दबे हुए शायर ने इसबात[43] में सर हिलाया।

क्या तुम हमारी अकाडमी के मेम्बर हो?” सेक्रेटरी ने पूछा।

नहीं

"हैरत है !". सेक्रेटरी ज़ोर से चींखा। "इतना बड़ा शायर ! अवस के फूल का मुसन्निफ !! और हमारी अकाडमी का मेम्बर नहीं है! ऊफ, ऊफ कैसी गल्ती हो गई हम से ! कितना बड़ा शायर और कैसे गोशिआ[44]-ए-गुमनामी में दबा पड़ा है!

गोशिया-ए-गुमनामी में नहीं बल्कि एक दरख्त के नीचे दबा हुआ... बराहे-करम[45] मुझे इस पेड़ के नीचे से निकालीये।

अभी बंदोबस्त करता हूँ।सेक्रेटरी फौरन बोला और फौरन जा कर इसने अपने महकमे में रिपोर्ट पेश की।

दूसरे दिन सेक्रेटरी भागा भागा शायर के पास आया और बोला, मुबारक हो, मिठाई खिलाओ, हमारी सरकारी अकाडमी ने तम्हे अपनी मर्कज़ी कमिटी का मेम्बर चुन लिया है। यह लो परवाना-ए-इंतखाब!”

मगर मुझे इस दरख्त से तो निकालो।दबे हुए आदमी ने करहा कर कहा। इस की सांस पड़ी मुश्किल से चल रही थी और इस की आंखों से मालूम होता था कि वह शदीद[46] तशन्नुज[47] और करब[48] में मुबतला[49] है।

यह हम नहीं कर सकते।सेक्रेटरी ने कहा। जो हम कर सकते थे वह हमने कर दीया है। बल्कि हम तो यहाँ तक कर सकते हैं कि अगर तुम मर जाओं तो तुम्हारी बीवी को वज़ीफा[50] दिला सकते हैं। अगर तुम दरख्वास्त[51] दो तो हम यह भी कर सकते हैं।

मैं अभी ज़िंदा हूँ।शायर रुक रुक कर बोला। मुझे ज़िन्दा रखो। 

मुसीबत यह है,सरकारी अकाडमी का सेक्रेटरी हाथ मलते हुए बोला, हमारा महकमा सिर्फ कल्चर से मुतालूक है। इसके लिए हमने 'फॉरेस्ट डिपार्टमेंट' को लिख दिया है।  'अर्जंट' लिखा है।

शाम को माली ने आ कर दबे हुए आदमी को बताया कि कल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आकर इस दरख्त को काट देंगे और तुम्हारी जान बच जाएगी।

माली बहुत खुश था कि गो[52] दबे हुए आदमी की सेहत जवाब दे रही थी मगर वह किसी न किसी तरह अपनी ज़िंदगी के लिए लड़े जा रहा है। कल तक.... सुबह तक.... किसी न किसी तरह इसे ज़िन्दा रहना है।


दूसरे दिन जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी कुल्हाड़ी ले कर पहुँचे तो इनको दरख्त काटने से रोक दिया गया। मालुम यह हुआ कि मुहकमा-ए-ख़ारजा से हुकम आया कि इस दरख्त को न काटा जाय, वजे यह थी कर इस दरख्त को दस साल पहले हकुमत पिटोनिया के वज़िरे-आज़म ने सेक्रेटेरियट के लॉन में लगाया था। अब यह दरख्त अगर काटा गया तो इस उमर का शदीद अंदेशा था कि हकुमते-पिटोनिया से हमारे तालुकात हमेशा के लिए बिगड़ जाएगे।

मगर एक आदमी की जान का सवाल हैएक क्लर्क गुस्से से चिल्लाया।

दूसरी तरफ दो हुकमतों के तालुकात का सवाल है।दूसरे क्लर्क ने पहले क्लर्क को समझाया। और यह भी तो समझो कि हकुमत पिटोनिया हमारी हकुमत को कितनी इमदाद देती है। क्या हम इन की दोस्ती की खातिर एक आदमी की ज़िदगी को भी कुरबन नहीं कर सकतें?”


शायर को मर जाना चाहिए।

बिलाशुबा[53]

अंडर सेक्रेटरी ने सपरिंटेंडंट को बताया।  आज सुबह वज़िरे-आज़म दौरे से वापस आ गए हैं। आज चार बजे महकमा-ए-ख़ार्जा इस दरख्त की फाईल उन के सामने पेश करेगा। जो वह फैसला देंगे वही सब को मंज़ुर होगा।

शाम पांच बजे खुद सुप्रिंटेंडंट शायर की फाईल ले कर उस के पास आया। सुनते हो?आते ही खुशी से फाईल हिलाते हुए चिल्लाया, वज़िरे-अज़म[54] ने दरख्त को काटने का हुकम दे दिया है और इस वाकिए की सारी बेनुल-अक्वामी[55] ज़िम्मेदारी अपने सर पर ले ली है। कल वह दरख्त काट दिया जाएगा और तुम इस मुसिबत से छुटकारा हासिल कर लोगे।

सुनते हो? आज तुम्हारी फाईल मुकम्मल हो गई!“. सुप्रिंटंडंट ने शायर के बाजू को हिला कर कहा। मगर शायर का हाथ सर्द था। आँखों की पतलियाँ बेजान थी और च्योंटियों की एक लम्बी कतार इस के मुह में जा ही थी।

उसकी ज़िंदगी की फाईल भी मुकम्मल हो चुकी थी।






माअनी व इशारात
सेक्रेटेरियट – मातमदी, सचिवालय
हार्टिकलचरल डिपार्टमेंट – बाघियानी से मतालुक महकमा
एग्रीकलचरल डिपार्टमेंट – महकमा ज़िराअत
तशन्नुज – ऐंठन

 मश्क व मुतालिया
अलिफ – (अव्वल[56]) दो या तीन जुमलों में जवाब दिजीए-
(1)     सेक्रेटेरियट के लॉन में क्या हादशा पेश आया?
(2)     सेक्रेटेरियट के सुपरिंटेंडंट तक इस हादसे की खबर किस तरह पहुँची?
(3)     क्लर्कों को किस बात का दुख हुआ था?
(4)     माली ने क्या मष्वरा दीया?
(5)     सुपरिंटेंडंट ने पेड़ तले दबे हुए आदमी को निकाल ने से क्यों मनाअ किया?
(6)     मरकमे-ज़िराअत और मरकमा-ए-तिजारत में किस बात पर इखतलाफ-ए-राय हुआ?
(7)     हार्टितलचरल डिपार्टमेंट से क्या जवाब आया?
(8)     पेड़ तले दबे हुए आदमी ने किस बात पर अहतजाज किया?

(दुव्वम[57]) मुख्तसर जवाब दीजिए-
(1)     दरख्त के तले दबे हुए आदमी की प्लास्टीक सरजरी की तजवीज़ क्यों पेश की गई
(2)     दबे हुए आदमी के मुतालुक क्या ख़बर फैल गई और इस का नतीजा क्या निकला
(3)     महकमा-ए-ख़ार्जा ने दरख्त काटने से क्यों रोक दिया था

(सुव्वम[58]) मुफसिल जवाब दीजिए-
कृष्ण चंदर ने इस कहानी में दफ्तरशाही पर किस तरह चोट की है

बः मंदरजा ज़ेल बयानात की तशरीह कीजिए
(1)     इस फाईल का तालुक न एग्रीकल्चरल डिपार्टमेंट से है, न हॉर्टिकलचरल डिपार्टमेंट से बल्कि सिर्फ कलचरल डिपार्टमेंट से है।
(2)     इसकी ज़िंदगी की फाईल भी मुकम्मल हो चुकी थी।

जः (1) जुमलों में इस्तमाल कीजिए
        जोक दर जोक, कानून को अपने हाथ में लेना, जवाब देना।
(3)     ज़ेल में से मरक्कब जुम्ले पहेचानियेः-
अ.      इसकी ख़बर शहर में फैल गई और शाम तक मुहले मुहले से शायर जमाअ होने शरू हो   गए।
ब. क्या हम उन की दोस्ती की खातिर एक आदमी को भी कुर्बान नहीं कर सकते?
ज. दबे हुए आदमी की सहत जवाब दे रही थी मगर वह किसी न किस तरह अपनी ज़िंदगी    के लिए लड़े जा रहा था।
द. तल यह दरख्त काट दिया जाएगा और तुम इस मुसिबत से छुटकारा हासिल कर लोगे।
ह. हमारा महकमा किसी हालत में इस फलदार दरख्त को काटने की इजाज़त नहीं दे          सकता।




The above is transliteration into Devnagari, from the original work in Persian script of Urdu, with meanings of selected words as footnotes, of lesson number 5 of an erstwhile Urdu text book of Standard 10 of Schools represented by Maharashtra State Board of Secondary and Higher Secondary Education, Poona 411- 010.





[1] अफ़साना-Legend, storyافسانہ     
[2] मज़लूम-Adj. oppressed       مظلوم      
[3] तबक़ों- parts طبقون     
[4] हिमायत-Support       حمایت 
[5] तनज़ो मज़ा-Critical, sarcastic remark   طنزومزاح   
[6] तहरीक- Movement, motion   تحریک    
[7] वहशी- Animal like                                        وحشی       
[8] शिकस्त- defeat    شکست    
[9] मशाहिदा- observation     مشاہدہ 
[10] पेचीदा- adj. complicated, twisted   پیچیدہ  
[11] क़्वानीन-  pl. laws, rules                ‌       قوانین 
[12] हत्ता- conj. as far as, until, so that           حتّی   
[13] वज़ारत-ए-ख़ारजा-Ministry of foreign affairs  وزارت خارجہ      
[14] झक्कड़-A gale, squall, storm, hurricane   جھکتڑ     
[15] गिर्द- adj. about, near, around گرد     
[16] जमाअ- Multitude, meeting, collection   مجمع            
[17] आबदीदा- To weep    بدیدہ   آ
[18] करहाते हुए-  groaning, sighing    کراہتے                                   
[19] मशवरा- Advice, consultation  مشورہ                                        
[20] काहिल-Sluggish, lazy     کاہل                                       
[21] तहय्यिा- Resolution, preparation تہیہّ                                     
[22] तिजारत-Commerce, trade   تجارت                           
[23] मुताअलुक- Belonging to, connected with    متعلق       
[24] महकमा ज़िराअत- agricultural محکمہ زراعت                             
[25] तहवील-Charge, trust تحویل                                                      
[26]  आईद- Charge, trust, cash عا يد                                         
[27] मजाज़- authority مجا ز                                               
[28] दाईरा इख़तियार - Area of power, control دايرہ اختیار            
[29] लावारिस- Heir-less   لاوارث                   
[30] तनज़ो मज़ा- full of criticism  طنزآمیز                            
[31] रघबत- desire, inclinationر‏غبت                                                   
[32] एहतजाज- protest       احتجاج                                               
[33] तजवीज़ - proposal, plan, view, scheme     تجویز              
[34] आमदो-रफ़त - coming and going      آمدورفت                            
[35] लक़मे - mouthful, morsel   لقمے                                 
[36] तग़ाफ़ुल - negligence تغافل                                    
[37] जोक दर जोक - in troops, successivelyجوق در جوق     
[38] इसला - Correction, cure       اصلاح                    
[39]                                             مصر   मुसिर - persistent 
[40] इसतिदा - Request, beseech, petition  استدعا                
[41] शजरे-सायादार - Shade affording treeشجرسایہ دار                
[42] शाअबों - Sections, departments       شعابوں            
[43] इसबात - Confirmation, affirmation اثبات                           
[44] गोशिआ - Corner, closetگشہ        
[45] बराहे-करम - For God’s sake, for mercy’s sakeبرہ کرم    
[46] शदीद - Strong, difficult  شدید                                                   
[47] तशन्नुज - Convulsion, spasm, cramp    تشنّج  
[48] करब - Grief, pain, vexation, affliction    کرب    
[49] मुबतला - Involved, fallen, engagedمبتلا      
[50] वज़ीफ़ा - Pension salary    وظیفہ  
[51] दरख़्वास्त- Application      درخواست
[52] गो - Saying, telling    گو
[53] बिलाशुबा - Without doubt     بلاشبا
[54] वज़ीरे आज़म - Prime Ministerوزیراعظم      
[55] बेनुल अक्वामी- Foreign affairs  بین الاقوامی  
[56] अव्वल- First   اوّل      
[57] दुव्वम - Secondدوّم   
[58] सुव्वम- Thirdسوّم